उस्ताद जाकिर हुसैन: तबला वादन के महानायक को श्रद्धांजलि Ustad Zakir Hussain: Tribute to the legend of tabla
भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में तबला वादन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन ने पूरे देश को गहरे शोक में डाल दिया। वे केवल एक तबला वादक ही नहीं, बल्कि भारतीय संगीत की आत्मा के प्रतीक थे। उनकी संगीत साधना ने भारतीय और वैश्विक संगीत पर गहरा प्रभाव डाला।
Ustad Zakir Hussain उनकी जीवन यात्रा और संगीत साधना
9 मार्च 1951 को मुंबई में जन्मे उस्ताद जाकिर हुसैन महान तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के पुत्र थे। अपने पिता से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने बचपन में ही तबला वादन की शुरुआत की। उनका संगीत का सफर न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध हुआ। वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ फ्यूज़न संगीत के लिए भी जाने जाते थे।
Ustad Zakir Hussain योगदान और उपलब्धियां
1. भारतीय शास्त्रीय संगीत का प्रचार: जाकिर हुसैन ने तबले को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई। उनके संगीत कार्यक्रम अमेरिका, यूरोप और एशिया में प्रसिद्ध रहे।
2. फ्यूजन संगीत: उन्होंने शांति, जॉन मैकलॉफलिन और हरि प्रसाद चौरसिया जैसे कलाकारों के साथ काम कर भारतीय और पश्चिमी संगीत का अनोखा मेल प्रस्तुत किया।
3. पुरस्कार और सम्मान: उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाज़ा गया, जिनमें पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे सम्मान शामिल हैं।
देशभर में शोक की लहर
उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गहरा शोक प्रकट किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “जाकिर हुसैन ने भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई। उनका निधन एक युग का अंत है।”
उस्ताद जाकिर हुसैन की यादें
जाकिर हुसैन हमेशा अपनी विनम्रता और साधना के लिए याद किए जाएंगे। उनकी तबले की थाप न केवल कानों में, बल्कि दिलों में भी गूंजती रहेगी।
एक चाय कंपनी का 1990 के विज्ञापन “वाह ताज” में उस्ताद जाकिर हुसैन दिखे तो और लोगो के जहेन में बस गए थे और यह कई लाखो लोगों के लिए, उस्ताद जाकिर हुसैन की पहली याद होगी।
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